Dialogue

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Lesson Transcript

सवंत्रता दिवस
दो सौ वर्ष अंग्रेजों की गुलामी के बाद 15 अगस्त सन् उन्नीस सौ सैंतालीस को हमारा भारत स्वतंत्र हुआ| देश को आज़ाद कराने के लिए हज़ारों स्वतंत्रता-सैनानियों ने अपनी जान दे दी| इस गौरव के प्रतीक को हर साल प्रत्येक भारतीय नागरिक सवंत्रता दिवस के रूप में हर्ष और उल्लास के साथ मनाता है।
ब्रिटीश राज से पहले भारत में कई विदेशी शासक आये, राज किया और भारत को अपनी मात्रभूमि बना लिया। उनके राज्य में देश पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ा। किन्तु अंग्रेजों के आने से यह सब बदल गया| अंग्रेज लोग हमेशा ही भारतीयों को हीन भावना से देखते थे। वे लोग भारत में आते, कुछ साल राज करते और फिर अपने वतन लौट जाते थे। उन्हें भारत के लोगों के सुख-दुःख और उनके कल्यान की परवाह नहीं थी। वे सिर्फ़ अपने देश के हित के लिए काम करते थे। उन्होंने भारत के लोगों पर राज करने के लिए उनकी एकता को भंग किया और उनके बीच धार्मिक फूट डाली| उन्होंने इंग्लेंड की मशीनों का बना कपड़ा भारत में कम कीमत पर बेचना शूरू किया| इससे भारतीय हस्त-उद्योग नष्ट हो गया और बहुत लोग बेरोज़गार हो गये। अंग्रेजों की कूटनीति से भारतवासी गरीब हो गये तथा अपना स्वाभिमान खो कर जीवन से निराश हो गये।
तब लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम शुरू किया। सन् अठारा सौ सत्तावन में लक्ष्मी बाई ने तलवार उठाई। जलियांवाला बाग़ का भीषण हत्याकांड हुआ| कई वीर स्वतंत्रता सेनानियों ने इस संग्राम में हिस्सा लिया और अपनी जान की बली चढ़ाई। इस दौरान महात्मा गाँधी ने सत्याग्राह आंदोलन शूरू किया और भारत के साथ साथ सारे विश्व को अहिंसा और शांति का सन्देश दिया। सन् उन्नीस सौ बयालीस में महात्माजी ने 'भारत छोड़ो' जनांदोलन चलाया और देश को अंग्रेजों के राज से मुक्त कराया। आज़ादी पाकर भारत के हर घर में नई रोशनी आई।
उन सभी वीर जवानों को श्रद्धांजली अर्पण करते हुए हर साल पंद्राह अगस्त को हम सवंत्रता दिवस मनाते हैं| उनके इस बलिदान से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि हमें अपने देश की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए तन मन धन से प्रयास करना चाहिए।
आज की नयी पीढ़ी स्वतंत्रता की अनमोल देन को भूल गयी है| देश में खाद्य समस्या, भ्रष्टाचार और कुप्रथाएँ बढ़ने लगी हैं| इन सब से लड़ने के लिए हमें एक साथ प्रयत्न करना चाहिए | सामाजिक विषमताओं को नष्ट करना तथा देश में निरक्षरता और बेकारी को दूर करना हर एक का लक्ष होना चाहिए। इस आज़ादी के पौधे को सींचकर हरा भरा रखना हर भारतवासी का उत्तरदायित्व है।

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