Dialogue

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Lesson Transcript

शिक्षक दिवस
शिक्षक, गुरु, आचार्य, प्रोफेसर, अध्यापक व टीचर, ये सभी शब्द एक ऐसे व्यक्ति को संबोधित करते हैं जो हमे ज्ञान देते हैं व शिक्षा प्रदान करते हैं और अच्छे बुरे का महत्व बताते हैं। भारत के दूसरे राष्ट्रपति डॉ.राधाकृष्णन का जन्म दिवस 5 सितंबर को "शिक्षक दिवस" के रूप मे मनाया जाता है।
समाज में शिक्षक का बहुत महत्वपूर्ण स्थान होता है क्योंकि वह भावी नागरिकों का निर्माता है। आज के बालक जो की राष्ट् की नीव होते हैं उन्हे सुदृढ़ बनाने का सारा भार शिक्षकों के कंधो पर होता है। बच्चे हमेशा अपने शिक्षको के चरित्र सद्व्यवहार और आदतो को जल्दी से अपनाकर अपने व्यवहार का हिस्सा बना लेते हैं इसलिए जैसे शिक्षक होंगे वैसे ही भावी समाज का निर्माण होगा।
पहले समाज में शिक्षक का स्थान इतना ऊँचा नही माना जाता था पर डॉ. राधाकृष्णन ने अपने अथक प्रयासो के बाद यह बदलाव उत्पन्न किया। डॉ राधा कृष्णन ने अपने देश मे रहकर ही पढ़ाई करी और 20 साल की उम्र में मद्रास के कालेज में दर्शन और तर्क शास्त्र के शिक्षक नियुक्त हुए। उन्हें विषय-वस्तु का पूरा ज्ञान था। वे नीरस विषय को भी सरल और रोचक बना कर प्रस्तुत करने से छात्रो की रूचि उन विषयों मे बढने लगी। उनके व्याख्यान देने की तथा तर्क करने की शक्ति से फलस्वरूप उनकी ख्याति बढ़ती चली गई। बाद मे वह मेसूर के महाराजा कॉलेज मे दर्शन के प्रोफेसर रहे और कुछ सालो बाद वे आन्ध्रा विश्व विद्यालय के कुलपति चुने गये। विद्यार्थियों के प्रति आत्मीय व्यवहार और मददगार के रूप मे वह बहुत लोकप्रिय हो गये। एक शिक्षक होने पर भी वे जिन उचाईयो पर पहुँचे और शिक्षको को सम्मान प्राप्त कराया उनके लिए शिक्षक वर्ग हमेशा उनका ऋणी रहेगा। उनकी यह चाह थी की गुरु एवं शिष्य मे मधुर रिश्ता हो तथा शिक्षक का समाज मे गौरवपूर्ण स्थान हो इसलिए उन्होने अपने जन्म दिवस को शिक्षक दिवस के रूप मे मनाने की घोषणा कर समाज मे शिक्षक वर्ग का सम्मान बढ़ाया। सभी जन इस दिन अपने शिक्षको का सम्मान करके गुरु ऋण से मुक्त होते हैं और ऐसे राष्ट्र का भविष्य सदेव उज्ज्वल रहता है।

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