केरल |
केरल भारत के दक्षिण-पश्चिमी सीमा तट पर बसा एक सुंदर प्रांत है। केरल को कुदरत से बैक वॉटर की अनोखी देन मिली है। पानी के ऊपर बनी झोपडियाँ व शिकारा नाव पर ठहरने की सर्वोत्तम व्यवस्था है। यहाँ पर दर्शक रुक कर जन्नत जैसे सौंदर्य का आनंद उठा सकते है। |
कुमारकोम का पक्षी विहार, एलेपी से एक घंटे की दूरी पर है। यह पक्षी विहार कवनर नदी के दक्षिणी तट पर स्थित है| कोयल, बगुला, बतख, रामचिरैया, चील के इलावा ऋतु परिवर्तन पर स्थान छोड़ने वाले पक्षी जैसे सायबेरियन सारस, तोता इस विहार के मुख्य आकर्षण है। यहाँ के पश्चिमी घाट के घने वनों में बीस फुट लंबे सर्पों के राजा "किंग कोबरा" भी रहता है। त्रिवेंद्रम के चिड़िया घर में हमें विभिन्न प्रजातियों के सर्प एवं अजगर देखने को मिलते है। |
केरल के कोवलम,चिराई व बेकल समुद्र तट का स्वच्छ जल लोगों को आकर्षित करता है। केरल में नारियल के पेड़ बहुत संख्या में पाये जाते हैं। मुन्नार में जगह जगह चाय के बागान है जिसकी चाय विदेशों में निर्यात की जाती है| इन बागानों की खुबसूरती आँखों को एक अनोखा अनुभव देती है। वायनाड के झरनों से कल कल ध्वनि करता बहता पानी कानों को संगीत की तरह महसूस होता है। |
प्राचीन समय से केरल के मसाले दुनिया भर में मशहूर है| यह प्रांत काली मिर्च, इलायची, जायफल तथा दालचीनी के सबसे अधिकतम उत्पाद वाला राज्य है। यहाँ के व्यंजनो में इडली-सांबार, डोसा, रसम प्रसिद्ध है जो केले के पत्तों पर सजा कर परोसे जाते है। |
कोटकल का आयुर्वेदिक मसाज लोगो को आकर्षित करता है। कथकली और मोहिनी आटम इस प्रांत के मशहूर नृत्य है। इस राज्य की संस्क्रति के अनुसार गजराज यहाँ के गौरव का प्रतीक है। |
सही अर्थों में यह प्रान्त गोडस ओंन कंट्री मतलब 'ईश्वर का अपना घर' है| |
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